क्यों
विस्तृत नील सुनील मे यह जो
झिलमिल - झिलमिल दीपावली
चंद्रप्रकाश मे झलक रही लो
यह किसकी पूजा की थाली ?
भिंगो गया अपने अश्रु से
कोण वहा अरविन्द दलों को ?
किस प्रीति पूरित आँखों का
सपना है रवि किरणों को ?
संतोष भरे निर्जन मानस पर
आनंद सघन घन गर्जना क्यों ?
है पीड़ा जिसका अभिनंदन क्षण
उस राम नरेश की अर्चना क्यों ?
- मानस
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